Thursday, April 30, 2015

मुझे नाज़ है तू नसीब है



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मुझे नाज़ है तू नसीब है,
मेरी ज़िन्दगी के करीब है |

तुझे इतनी भी तो खबर नहीं,
मेरा इश्क तुझसे अजीब है |

मैं तो छोड़ दूं ये जहां अगर,
कोई ओर तेरा हबीब है |

तिरे गम से गर मैं जुदा हुआ,
न तू ये समझना नसीब है |

मेरा दिल बहुत है उदास अब,
ज्यूँ हो सर पे मेरे सलीब है |


हर्ष महाजन
122-122-1212

2 comments:

  1. एक-एक मिसरा काबिले तारीफ।बहुत खूब सर ! बहुत खूब।

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    1. Rajesh kumar Rai जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका....!!

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