Friday, March 4, 2016

तेरे हिस्से की मैंने दिल में इक सौगात रक्खी है



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तेरे हिस्से की मैंने दिल में इक सौगात रक्खी है,
ज़रा आओ तो परदे में.......ज़मीं आज़ाद रक्खी है |

तेरे कूचे की मुझको......यादें क्यूँ जीने नहीं देतीं,
नज़र भर देख आँखों में वो शय आबाद रक्खी है |


मुहब्बत की हवेली ये.......इसे बीरान न कर तू ,
ये अपनी रूह भी, खातिर तेरे, बेज़ार रक्खी है |


अगर मुमकिन नहीं आना भुलाना भी नहीं वाजिब,
लबों से हंस के मैंने...जान भी कुर्बान रक्खी है |


इलाही सब्र का दामन.......कभी छोड़ा नहीं मैंने,
तेरी तस्वीर दिल में उस जगह बेदाग़ रक्खी है |


कभी आँखों से बहते अश्क भी भूला नहीं हूँ मैं,
खुदाया आना तू इक बार इक रुदाद रक्खी है | 


______हर्ष महाजन


1222 1222 1222 1222

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