Friday, December 30, 2016

मुझको कल रात खूब याद आई तेरी

-------------नज़्म ( डोली )

मुझको कल रात खूब याद आई तेरी,
डोली अरमानों से थी.....सजाई तेरी ।

खुश थे हम भी मगर अश्क़ ले आँखों में,
हँसते रोते जो की थी......बिदाई तेरी ।

उस तरफ ढोल बाजे......नगाड़े बहुत,
पर यहां सूनी गलियां....ओ माई तेरी ।

दूर तक जाते तूने........जो देखा मुझे,
पल वो दादी बहुत.....याद आई तेरी ।

यूँ ही कागज़ पे आंसू ....बहाये बहुत,
मैंने जब-जब थी गुड़िया ..उठाई तेरी ।

ख्वाब टूटा तो दिल पे था बोझ लिये,
बिखरी तस्वीेर आँखों में.....छाई तेरी ।

टूटे ख़्वाबों ने इतना बताया मुझे,
मैंने बचपन की यादें  छुपाई तेरी ।

मेरे दिल से जुदा हो न पाई कभी,
घर की अलमारियों पे लिखाई तेरी ।

तुझको भूले से कुछ हो न जाए कभी,
अब खुदा से भी  कर ली दुहाई तेरी ।

दर्द आँचल से थोड़ा गिरा अब ज़रा,
दूर पापा तेरे संग.........है आई तेरी ।

ये नज़म लिखते ही इतना रोया हूँ मैं,
 साथ गुड़ियों के रातें बिताई तेरी ।

डोली अरमानों से थी.....सजाई तेरी,
मुझको कल रात खूब याद आई तेरी ।

------------हर्ष महाजन

बहर

212 212 212 212
1)"आपकी याद आती रही रात भर
चश्म-ए-नम मुस्कराती रही रात भर"

2) "खुश रहे तू सदा ये दुआ है मेरी"

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